Harivansh rai Bachchan Poems || कवी हरिवंश राय बच्चन की सर्वश्रेष्ठ कविताये
Harivansh rai Bachchan Poems:- छाया कलाकार डॉ. हरिवंश राय बच्चन ने अपने चकाचौंध भरे कविता के साथ लोगों के मानस को खींचने और उसका समर्थन करने का एक अच्छा प्रयास किया है। उनके कार्यों में विश्वास की ज्योति जलती रहती है। हम आपको हिंदी श्लोक के सागर से हरिवंश राय बच्चन जी के कुछ चुने हुए और कुछ अनोखी कवताओ से परिचित करा रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में पोएम विभिन्न बिंदुओं पर निर्भर करते हैं, फिर भी उन्हें समझने के बाद, आपका मानस आनंदित हो जाएगा। इसलिए हमें हरिवंश राय बच्चन जी इस सुन्दर वे प्रसिद्ध कविताओं का संग्रह पढ़ना चाहिए।
Harivansh rai Bachchan Poems in Hindi
Best Harivansh rai Bachchan Kavita
मानव पर जगती का शासन,
जगती पर संसृति का बंधन,
संसृति को भी और किसी के प्रतिबंधों में रहना होगा!
साथी, सब कुछ सहना होगा!
हम क्या हैं जगती के सर में!
जगती क्या, संसृति सागर में!
एक प्रबल धारा में हमको लघु तिनके-सा बहना होगा!
साथी, सब कुछ सहना होगा!
आओ, अपनी लघुता जानें,
अपनी निर्बलता पहचानें,
जैसे जग रहता आया है उसी तरह से रहना होगा!
साथी, सब कुछ सहना होगा!
famous harivansh rai bachchan poems
हो जाय न पथ में रात कहीं,
मंजिल भी तो है दूर नहीं –
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे –
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल? –
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
famous harivansh rai bachchan poems in hindi
अर्द्ध रात्रि में सहसा उठकर,
पलक संपुटों में मदिरा भर,
तुमने क्यों मेरे चरणों में अपना तन-मन वार दिया था?
क्षण भर को क्यों प्यार किया था ?
‘यह अधिकार कहाँ से लाया’
और न कुछ मैं कहने पाया –
मेरे अधरों पर निज अधरों का तुमने रख भार दिया था!
क्षण भर को क्यों प्यार किया था ?
वह क्षण अमर हुआ जीवन में,
आज राग जो उठता मन में –
यह प्रतिध्वनि उसकी जो उर में तुमने भर उद्गार दिया था!
क्षण भर को क्यों प्यार किया था ?